INDIA vs भारत

 तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भारत नाम बदलेने पर प्रतिक्रिया देने वाले पहले लोगों में से थे, जब उन्हें पता चला कि जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रतिनिधियों को दिया गया निमंत्रण पारंपरिक 'प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया' के बजाय 'प्रेसीडेंट ऑफ भारत' की ओर से था. इसे केंद्र सरकार की ओर से देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत करने का कदम माना गया. 



स्टालिन ने कहा कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से पिछले नौ वर्षों में, देश के प्रति नरेंद्र मोदी सरकार का एकमात्र योगदान शायद नाम को इंडिया से बदलकर भारत करने का विचार है. तमिलनाडु पर शासन कर रही डीएमके कई मुद्दों पर बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के साथ टकराव की स्थिति में है.



'इंडिया, इंडिया ही रहेगा'- स्टालिन 

स्टालिन ने सोशल मीडिया पर यह भी कहा कि विपक्षी गुट ने अपने गठबंधन का नाम 'इंडिया' रखा है और इस नाम ने बीजेपी को परेशान कर दिया है, इसके कारण वह देश का नाम बदलने पर विचार कर रही है. एक माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर एक पोस्ट में स्टालिन ने कहा, “ऐसा लगता है कि बीजेपी इंडिया नामक एक शब्द से परेशान है. वे विपक्ष के भीतर एकता की ताकत को पहचानते हैं. चुनाव के दौरान इंडिया बीजेपी को सत्ता से बाहर कर देगी. इंडिया, इंडिया ही रहेगा'



'RSS पूरे देश के लिए एजेंडा तय कर रहा है'- स्टालिन की बहन

डीएमके के उप महासचिव और थूथुकुडी से सांसद कनिमोझी करुणानिधि, जो मुख्यमंत्री एमके स्‍टालिन की बहन भी हैं ने कहा कि आरएसएस पूरे देश के लिए एजेंडा तय कर रहा है. उन्होंने कहा कि 'गवर्नमेंट ऑफ इंडिया' के बजाय 'गवर्नमेंट ऑफ भारत' का उपयोग अभूतपूर्व था और इस तरह के राजनीतिक कदम का कोई कारण नहीं था.



उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार आरएसएस और उसके प्रमुख मोहन भागवत के कहे का पालन कर रही है और जी20 प्रतिनिधियों को निमंत्रण इसका स्पष्ट संकेत है. उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रमुख ने पहले कहा था कि इंडिया का नाम बदलना होगा और सरकार उसका अनुसरण कर रही है.



भारत का नाम डीएमके के एजेंडे में होगा

डीएमके इंडिया से नाम बदलकर भारत करने के सरकार के कदम को भुनाने की कोशिश कर रही है और राज्य भर में जागरूकता कार्यक्रम चला रही है. उसका कहना है कि बीजेपी आरएसएस के एजेंडे के मुताबिक आगे बढ़ रही है. कनिमोझी का यह बयान कि आरएसएस देश के लिए एजेंडा तय कर रहा है, इस बात का स्पष्ट संकेत है कि डीएमके तमिलनाडु में अपने अभियान को कैसे आगे बढ़ाएगा.



तमिलनाडु की सभी 39 लोकसभा सीटें जीतने की उम्मीद करने वाली एक राजनीतिक पार्टी के रूप में, डीएमके केंद्र में बीजेपी सरकार के खिलाफ आक्रामक रूप से आगे बढ़ेगी. नाम बदलकर भारत करने का सरकार का कदम डीएमके के एजेंडे में होगा. वरिष्ठ नेताओं की प्रारंभिक प्रतिक्रियाओं से संकेत मिलता है कि पार्टी अपने प्रमुख बिंदुओं में से एक के रूप में नाम परिवर्तन में आरएसएस के कोण पर ध्यान केंद्रित करेगी.



'भारत नाम बदलना दक्षिण भारत में स्वीकार करना मुश्किल'

सामाजिक वैज्ञानिक आर रघुराम ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “इंडिया से भारत नाम बदलने को दक्षिण भारत में स्वीकार करना मुश्किल होगा और डीएमके इसका फायदा उठाएगी. तमिल भावनाओं को बढ़ावा देने वाले एक राजनीतिक मोर्चे के रूप में, इस मुद्दे का इस्तेमाल पूरे राज्य में राजनीतिक लाभ के लिए किया जाएगा. यदि बीजेपी नाम बदलने का इरादा रखती है, तो उसे तमिलनाडु में विरोध का सामना करना पड़ेगा और यह निश्चित है कि अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन से कोई मदद नहीं मिलेगी, क्योंकि भारत नाम यहां गूंजना मुश्किल है.



सामाजिक समानता और तमिल को बढ़ावा देने की अपनी द्रविड़ पहचान के साथ द्रमुक ने नाम परिवर्तन के मुद्दे को पकड़ लिया है और राज्य में इसके खिलाफ सक्रिय रूप से बोलेगी. राज्य में पार्टी द्वारा हिंदी विरोधी आंदोलन जैसा कोई कदम फिर से उठाए जाने की संभावना है. हालांकि, एक अखिल भारतीय पार्टी होने के नाते इसकी राजनीतिक सहयोगी कांग्रेस इसे कैसे संभाले

गी, यह लाख टके का सवाल है.


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